चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा धागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झबले सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

जब गवरइया अपनी टोपी बनवाने के लिए धुनिया, कोरी, बुनकर और दर्जी के पास गई तो उसे सभी ने यही कहा कि वे राजा का काम कर रहे हैं। गवरइया ने धुनिये को आधी रुई रख लेने की बात कही तो वह राजा का काम छोड़कर उसका काम करने को तैयार हो गया। इसी तरह कोरी, बुनकर ओर दर्जी ने भी गवरइया से काम का उचित दाम प्राप्त करने का दावा पाकर राजा के काम की जगह गवरइया के काम को प्राथमिकता दी| इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि राजा उन्हें उनके काम का उचित मूल्य नहीं दे रहा था। वहीं गवरइया ने सभी कारीगरों को उम्मीद से ज्यादा एवं उचित मूल्य इमानदारी से देने की बात कही। इस पर वे गवरइया का काम पहले करने के लिए तैयार हुए।


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